यदि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर रहेगी तो आप औरों के तुलना में कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने में ज्यादा सफल रहेंगे। आयुर्वेद में ऐसे कई उपाय हैं, जिनको अपना कर आप अपने शरीर के इम्यून सिस्टम को बेहतर कर सकते हैं, साथ ही अपने घर तथा आस-पास के वातावरण को कोरोना वायरस के प्रकोप से भी मुक्त रख सकते हैं। ऐलौपैथी के साथ आयुर्वेद के जरिए भी कोरोना संक्रमितों के इलाज के सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं। यूं तो देश में कई जगह आयुर्वेद से कोरोना संक्रमितों के इलाज का प्रयोग चल रहा है, लेकिन शहर के लोकबंधु अस्पताल में यह प्रयोग सफल साबित हुआ है। यहां 25 मरीजों को सिर्फ जड़ी-बूटियों से बना काढ़ा पिलाकर ठीक कर दिया गया है। इन्हें काढ़े के अलावा और कोई दवा नहीं दी गई।
इन आयुर्वेदिक औषधि को अपनाकर अपने इम्यून सिस्टम को बेहतर कर सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे।
1. त्रिफला जूस
त्रिफला एक आयुर्वेदिक औषधि है। इसमें अमलकी, बिभीतक और हरितकी पाए जाते हैं जिनसे दवा बनाई जाती है। इसके साथ ही इसमें फिनोल, टैनिन, गैलिक एसिड, टेरपेन और फ्लेवोनोइड जैसे यौगिक भी पाए जाते हैं, जो इम्यून के लिए बहुत लाभकारी होते हैं।
त्रिफला में एंटी इंफ्लामेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट के गुण भी पाए जाते हैं जो इंफ्लामेटरी संबंधित रोगों को दूर करने में बहुत ही कारगर साबित होता है। अगर आप रोज़ाना सुबह त्रिफला जूस का सेवन करते हैं तो आपका इम्यून सिस्टम मज़बूत होगा। यह शुगर, असमय बालों के गिरने और पेट की चर्बी को कम करने में भी बहुत लाभकारी होता है।
2. अदरक जूस
आयुर्वेद में अदरक का बहुत इस्तेमाल किया जाता है। यह एक ऐसा मसाला है जो आपको हर घर के किचन में आसानी से मिल जाएगा। इसका न केवल स्वाद अच्छा होता है बल्कि इसमें कई आयुर्वेदिक गुण भी पाए जाते हैं जो बीमारियों से लड़ने में हमारी मदद करते हैं। इसमें पाए जाने वाला जिंजेरोल प्रमुख कंपाउड है। अगर आप गले की ख़राश, सर्दी और ज़ुकाम से निजात पाना चाहते हैं तो आपको अदरक की चाय ज़रूर पीनी चाहिए। इससे इम्यून सिस्टम बेहतर होता है। एक स्टडी से पता चला है कि अगर वर्क आउट के बाद अदरक की चाय का सेवन करते हैं तो यह मांसपेशियों के दर्द में काफी आराम मिलता है।
3. तुलसी की चाय
तुलसी को भारत में प्रमुख आयुर्वेदिक औषधि माना जाता है। विषेशज्ञों का कहना है कि इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटी-डायबेटिक, एंटी-अर्थराइटिस, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी के गुण पाए जाते हैं। इसके सेवन से ग्लूकोज़ मेटाबॉलिज़्म बेहतर होता है जबकि जोड़ो की सूजन भी कम करता है। यह मानसिक तनाव को दूर करता है। इसके लिए आप तुलसी की चाय का सेवन कर सकते हैं।
4. मेथी दाना
ज़्यादातर लोग मेथी दाने का उपयोग सब्ज़ी में करते हैं। यह न सिर्फ सेहत के लिए वरदान है बल्कि इसमें एंटी-इंफ्लामेटरी गुण भी पाए जाते हैं। इसके सेवन से आप अपना इम्यून सिस्टम बेहतर कर सकते हैं। अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो रोज़ाना सुबह खाली पेट मेथी का पानी पीएं। इसके लिए एक गिलास पानी में 2 चम्मच मेथी डाल दें और अगली सुबह मेथी को अलग कर पानी पी जाएं।
5. धनिया पानी
धनिया सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। प्राचीन समय से ही भारतीय व्यंजनों में धनिया का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट्स जैसे गुण पाए जाते हैं जो रक्त शर्करा के स्तर और पाचन क्रिया को नियंत्रित करते हैं। यह न केवल इम्यूनिटी को बढ़ाता है, बल्कि हृदय रोग और संक्रमण से भी बचाता है।
6. गिलोय
गिलोय हेल्दी कोशिकाओं को मेंटेन करती है और शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स से लड़कर इम्यूनिटी को बढ़ाती है। ये ब्ल्ड प्लेटलेट्स को बढ़ाने और जानलेवा बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण पाए जाते हैं। सांस लेने से जुड़ी समस्याएं जैसे सर्दी-जुकाम, टॉन्सिल, कफ आदि गिलोय के सेवन से आसानी से ठीक हो सकती है.
लोकबंधु अस्पताल में आयुर्वेद के पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ आदिल रईस ने बताया कि अस्पताल में पिछले एक महीने से यह प्रयोग चल रहा है। इसके लिए गिलोय, सोंठ, अदरक सहित कई जड़ी-बूटियों से काढ़ा बनाया गया है। मरीजों को सुबह और शाम 50-50 एमएल काढ़ा दिया गया। इसके साथ पांच दिन बाद मरीज की दोबारा कोरोना जांच करवाई गई। इसमें यह सामने आया कि ज्यादातर मरीज पहली ही जांच में संक्रमणमुक्त पाए गए। ऐसे हर मरीज को औसतन सात दिन में डिस्चार्ज कर दिया गया। उन्होंने बताया कि इस काढ़े के रिसर्च पेपर के लिए डेटा तैयार किया जा रहा है। इसमें बताया जाएगा कि हमने किन-किन जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया।
डॉ. आदिल ने बताया कि आयुर्वेद में सांस की बीमारियों के लिए कई जड़ी बूटियां बताई गई हैं। काढ़ा बनाने के लिए ऐसी कई जड़ी बूटियां चुनी गईं। इसके अलावा आयुर्वेद में कहा गया है कि ज्यादातर बीमारियां पेट के कारण होती है। इस कारण पेट की बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियां भी इसमें मिलाई गईं। इसके साथ मरीजों को सिर्फ आसानी से पचने वाला भोजन और पीने के लिए गर्म पानी दिया जा रहा है।